शुक्र ग्रह शांति पूजा
शुक्र ग्रह को काम व सुख का कारक ग्रह माना जाता है। कुंडली में शुक्र की स्थिति का आकलन करके ही, ज्योतिषी जातक के सुख व संपन्न तथा उसके जीवन में प्रेम की गणना करते हैं। जातक के जीवन में प्रेम कितना व कब आएगा, इसकी जानकारी शुक्र की स्थिति से ही ज्ञात होती है। शुक्र ग्रह सौरमंडल में, सूर्य के बाद दूसरा महत्वपूर्ण ग्रह है और यह चंद्रमा के बाद अकेला ऐसा ग्रह है जो रात में चमकता है। ये देखा गया है कि अगर किसी कुंडली में शुक्र अशुभ हैं तो, उस जातक को आर्थिक कष्ट, काम-सुख में कमी, कुष्ठ, मधुमेह, मूत्राशय संबंधी रोग, गर्भाशय संबंधी रोग और गुप्त रोगों की समस्याओं से दो-चार होने के साथ ही, उसके जीवन में सभी प्रकार के सांसारिक सुखों में भी कमी देखी जाती है। इसके अलावा शुक्र के साथ यदि कोई पाप स्वभाव का ग्रह हो तो, व्यक्ति कामवासना के बारे में सोचता है। वहीं पाप प्रभाव वाले कई ग्रहों की युति शुक्र के साथ होने पर, जातक की कामवासना भड़कने के साथ-साथ, उसके मन में बलात्कार जैसी परिस्थितियां उत्पन्न होने लगती है। इसके अतिरिक्त शुक्र के साथ मंगल और राहु का संबंध होने की दशा में, यह घरेलू हिंसा का वातावरण भी बनाता है। इसलिए भी शुक्र ग्रह की शांति बेहद ज़रूरी होती है।
पूजा की संपूर्ण जानकारी और विधि
शुक्र ग्रह का महत्व
वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को एक शुभ ग्रह माना गया है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को भौतिक, शारीरिक और वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसलिए ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग-विलास, शौहरत, कला, प्रतिभा, सौन्दर्य, रोमांस, कामवासना और फैशन-डिजाइनिंग आदि का कारक माना जाता है। शुक्र वृषभ और तुला राशि का स्वामी होता है और मीन इसकी उच्च राशि है, जबकि कन्या इसकी नीच राशि कहलाती है। शुक्र को 27 नक्षत्रों में से भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। सुखीकान्त व पुः श्रेष्ठः सुलोचना भृगु सुतः।
काब्यकर्ता कफाधिक्या निलात्मा वक्रमूर्धजः।।
शुक्र ग्रह की पूजा में सर्वोपरि है वैदिक मंत्र
शुक्र ग्रह की पूजा वैदिक मंत्रों, पारंपरिक 16000 हजार संख्याओं का मन्त्र जाप कर और षोडशोपचार चरणों के साथ की जाती है। पूजा में “होमा” (हवन) अनुष्ठान भी शामिल है जिसमें घी, तिल, जौ और भगवान सूर्य से संबंधित अन्य पवित्र सामग्री व सूर्यादि संख्याओं के मंत्र का पाठ करते हुए, उसे अग्नि को अर्पित किया जाता है। जातक की जन्म कुंडली में ग्रहों के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए, यज्ञ एक महत्वपूर्ण उपाय है। अधिकतम सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए, वैदिक पूजा सबसे अच्छे मुहूर्त और नक्षत्र के दिन ही संपन्न करनी चाहिए। शुभ मुहूर्त के दौरान पूजा को पूरा करने के लिए, एक पुजारी यानी एक पंडित जी को नियुक्त कर पूजा को 5 या 6 घंटों में संपन्न किया जाता है।
शुक्र ग्रह शांति पूजा के लाभ
- शुक्र दोष निवारण पूजा से कुंडली में मौजूद शुक्र के सभी नकारात्मक प्रभाव दूर होते है।
- इस पूजा से जातक का वैवाहिक जीवन समृद्ध होता है और पति -पत्नी के बीच संबंध भी बेहतर होते हैं।
- यदि आपका विवाह होने में कुछ समस्या आ रही हैं तो भी, शुक्र ग्रह शांति पूजा से आपको इस समस्या से निजात मिलती है।
- शुक्र ग्रह शांति पूजा करने से, पारिवारिक जीवन खुशहाल होता है।
शुक्र ग्रह शांति पूजा कैसे होगी ?
शुक्र ग्रह शांति पूजा हेतु, किसी ज्योतिष विशेषज्ञ से सहायता लेते हुए online पूजा का विवरण पूजा कराने वाले यजमान (जातक) को दिया जाएगा और आपकी पूजा को एक विशेष पंडित जी को सौंपा जाएगा और उसका शुभ निर्धारित समय जातक को दिया जाएगा। नामित पंडित जी एक समय में केवल एक पूजा करेंगे। पूजा से पहले पंडित जी या आचार्य जी आपके व आपके परिवार का विवरण प्राप्त करेंगे और उसके बाद ही, संकल्प या पूजा के लिए उद्देश्य के साथ पूजा की शुरुआत करेंगे। पूजा शुरू होने से ठीक पहले, आपको एक कॉल लगाया जाएगा ताकि पंडित जी आपको अपने साथ संकल्प पाठ में शामिल कर सकें। यह पूजा की शुरुआत का प्रतीक है। यदि पूजा के दौरान आप अपने घर में या मंदिर में हो तो, आप एक शांत स्थान में बैठकर लगातार “ॐ ह्रीं श्रीं शुक्राय नमः” मंत्र का जप व पाठ कर सकते हैं। फिर पूजा के अंत में, पंडित जी आपको पूजा के दौरान उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा को स्थानांतरित करने के लिए पुनः फ़ोन के जरिए शामिल करेंगे। इस प्रक्रिया को “श्रेया दाना” या “संकल्प पूर्ति” के रूप में जाना जाता है। यह पूजा के अंत का प्रतीक है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. शुक्र ग्रह शांति पूजा से क्या लाभ मिलता है?
इस पूजा को करने से जन्म कुंडली में मौजूद शुक्र दोष के नकारात्मक प्रभावों का अंत होता है। साथ ही जातक को अपने जीवन में भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
Q2. क्या शुक्र ग्रह शांति पूजा में मेरी शारीरिक उपस्थिति की आवश्यकता होगी ?
नहीं, इस पूजा अनुष्ठान की यह सबसे अनोखी सुंदरता यह है कि इसके अनुष्ठान के दौरान आप शारीरिक रूप से अन उपस्थित होते हुए भी, इस पूजा का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
Q3. शुक्र ग्रह शांति पूजन का कुल समय कितना होता है ?
आमतौर पर, इस पूजा को करने में एक दिन में लगभग 5 से 6 घण्टे का समय लगता है।
Q4. शुक्र ग्रह शांति पूजन का समय कैसे निर्धारित किया जाता है ?
शुक्र शांति पूजा का समय शुभ मुहूर्त देखकर तय किया जाएगा।
Q5. इस पूजन को कराने लिए क्या-क्या जानकारी होना अनिवार्य होता है ?
इस पूजन को कराने के लिए, पुरोहित जी यजमान से पूजा से पहले से कुछ जानकारी लेते हैं। जो इस प्रकार है:-
- पूरा नाम
- गोत्र
- वर्तमान शहर सहित राज्य, देश, आदि।
- पूजा करने का उद्देश्य – आप पूजा क्यों कर रहे हैं?
Q6. ऑनलाइन शुक्र ग्रह शांति पूजा से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए ?
जब पंडित जी पूजा अनुष्ठान कर रहे हो तो, आपको “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए।
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