प्रेत बाधा से रक्षा के लिए कवच एक ऐसा तांत्रिक और धार्मिक स्तोत्र या मंत्रों का संग्रह होता है, जिसे पढ़ने या धारण करने से प्रेत-आत्मा, भूत-प्रेत, नकारात्मक शक्तियाँ, तांत्रिक बाधा या बुरी नज़र आदि से रक्षा होती है।
जब किसी व्यक्ति के जीवन में कोई अदृश्य नकारात्मक शक्ति (जैसे भूत-प्रेत, अपसरा, पिशाच, या असामान्य आत्माएँ) बाधा डालती हैं, उसके मन, शरीर, या घर-परिवार पर बुरा असर डालती हैं, तो उसे प्रेतबाधा कहा जाता है।
हिन्दू धर्म और तांत्रिक शास्त्रों में माना जाता है कि कभी-कभी असमय मृत आत्माएँ, असंतुष्ट आत्माएँ, या तामसिक शक्तियाँ किसी व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक, या पारिवारिक रूप से कष्ट देती हैं।
📌 प्रेतबाधा के लक्षण:
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बिना वजह डर लगना
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रात को डरावने सपने आना
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अचानक गुस्सा आना या मानसिक बेचैनी
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घर में अजीब घटनाएँ होना (दीपक बुझ जाना, आवाज़ आना)
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बिना कारण बीमारियाँ होना
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काम में बार-बार रुकावट आना
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किसी जगह विशेष में डर महसूस होना
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पूजा-पाठ में मन न लगना
📌 प्रेतबाधा के कारण:
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किसी असंतुष्ट आत्मा का साथ लग जाना
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तांत्रिक क्रिया या ऊपरी बाधा
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नकारात्मक ऊर्जा वाले स्थान पर रहना
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पूर्वजों या मृत आत्माओं की शांति न होना
📌 प्रेतबाधा से बचने और रक्षा के उपाय:
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हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, या भैरव रक्षा कवच का पाठ
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शनिवार को हनुमान जी या भैरव जी का दर्शन और पूजा
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घर में रोज़ दीपक और गंगाजल का छिड़काव
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रुद्राभिषेक या महामृत्युंजय जाप
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नींबू-मिर्ची टांगना (नज़र दोष व प्रेत बाधा से बचने के लिए)
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